Ailan E Jung ( Last post before Success)
शुरू खुदा के नाम से जो सबसे बड़ा है । जिसने ये जिंदगी दी, ज़िंदगी में सुख मिले तो उसका शुक्रिया करने के लिए दुख मिले तो दुआ करने के लिए । मेरी ज़िंदगी में उसने मुझे जो कुछ दिया सबसे अच्छा दिया । जो कुछ भी मुझे नुकसान पहुंचा सकता था उसने मेरी जिंदगी से ऐसे निकाला जैसे दाल में से कंकर निकाल दिया जाता है । और सुनो तुम पढ़ रहे हो मुझे पता है और तुम्हारी ज़िंदगी में भी ऐसा ही है जो नुकसानदायक था उसने निकाल दिया और जो भी फायदे वाला है आ चुका है तुम्हारी ज़िन्दगी में और आता ही रहेगा क्योंकि हम अब इतने बड़े ही गए इतने तजुर्बेदार हो गए कि हमें अब फर्क नहीं पड़ता और सुनो अच्छी है अब तुम्हारी हमारी ज़िंदगी क्योंकि मेहनत करने लगे है अब हम । हाँ अब बड़े हो गए है हम । मेरी उम्र कुछ 24 साल की हो चुकी है मेरे साथ वाले कुछ बड़े शहर में नौकरी कर रहे हैं, कुछ की शादी हो चुकी है और कुछ अपने बीवी बच्चों के साथ खुश हैं ।
बात 2010 की है जब मैं दसवी कक्षा में पढ़ता था । मैं पढ़ाई में ठीक ठाक था सभी विषयों में मैं अच्छा था लेकिन एक विषय ऐसा था जो मेरे लिए नामुनकिन था उस वक़्त वो था maths, 2009 तक हमारे पंजाब बोर्ड में जो भी छात्र या छात्रा एक विषय में फेल भी हो जाए तो उसे pass ही माना जाता था । आह मेरी किस्मत जब 2010 में मैं दसवी कक्षा में हुआ तो उस rule को बदल दिया गया और अब pass होने के लिए maths में पास होना जरूरी था । ये खबर मेरी ज़िंदगी की सबसे बुरी खबर थी सच कहूं तो मैं टूट गया था ये सुनकर । और मुझे पता चल चुका था कि अब मैं किसी भी हाल में परीक्षा में पास नहीं हो सकता । क्योंकि मुझे पिछली कक्षाओं का math ही नहीं आता था तो मैं कैसे करता, उस वक़्त मेरे लिए पास होना नामुनकिन हो गया । साहब मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं कुछ ना समझ पाया । अब मुझे पता था कि मैं फेल हो चुका हूं । पिता जी द्वारा कहा गया कि फेल होने से अच्छा है तूँ परीक्षा में बैठ ही मत लेकिन मुझे ऐसा करना गवारा नहीं था मैंने सीने पर पत्थर रख कर अपनी परीक्षा दी और नतीजा आने से पहले मुझे नतीजा पता था । हाँ हाँ मैं फेल हो चुका था ।
अब जब मेरा स्कूल छूट ही चुका था तो मैं क्या करता मेरे पिता जी ने मेरे सामने हाथ का काम सीखने का प्रस्ताव रखा और मेरे पास कुछ और करने का न तो चारा था और ना ही मनाही करने की कोई वजह । परीक्षा के नतीजे अब आ चुके थे और मैं math को छोड़कर सभी विषयों में pass था ।
एक 14 साल का बच्चा अब एक electrician के पास काम सीखने के लिए जाया करता था । मेरे पिता जी सारा दिन काम पर व्यस्थ रहते थे इसलिए उन्हें मेरी पढ़ाई के बारे में कुछ नहीं पता था और इसमें उनकी कोई गलती ना थी । और वो समझते थे कि मैं खुद नहीं पढ़ता था लेकिन सच्चाई ये थी कि मुझे maths समझ नहीं आता था शायद इसमें भी मेरी कोई गलती ना थी । ऐसे ख्याल फेल होने के बाद मुझे सुबह शाम खाते रहते थे मैं सुबह 9 बजे अपने अंकल की बिजली की दुकान पर जाया करता था और वो मुझे काम करना सिखाया करते थे । और रात को 9 बजे तक मैं उनके साथ ही रहता था मुझे नहीं समझ आ रहा था कि क्या हो रहा है मेरे साथ लेकिन बस अब ये ही आखिरी रास्ता था और मुझे आज भी याद है मैं कितनी बुरी तरह से थक जाता था 12 घंटे काम करके सारा दिन मुझे मेरी माँ की याद आती थी आखिर एक 14 साल का बच्चा होता ही क्या है ।
ज़िन्दगी गुज़रती रही मेरे सभी दोस्त पढ़ते रहे । मैंने अपने होंठों को सिल लिया दिल पर पत्थर रख कर बस ज़िन्दगी को खीचता रहा मैं अकेला था और मेरा कोई दोस्त नहीं था । बस मैं अकेला रहता था किसी से कुछ बात नहीं करता था । बस रात को घर जाता था खाना खाता था और सोने चला जाता था । आप लोगो में से कई मुझसे सवाल करते हैं कि मैं ऐसा इतना senty क्यों हूँ बस यही वजह है कि 14 साल की उम्र में ही मैं बड़ा हो गया था मेरा बचपन मुझे नहीं पता खो गया था या मेरे हालातों ने मेरे बचपन को रोंद दिया था मैं तब से ही ज्यादा सोचता था डिप्रेशन उदासी जैसी चीज़े मेरे लिए आम बात थी ।
आगे बढ़ते बढ़ते अब 5 साल गुजर चुके थे facebook का ज़माना था तो कुछ मेरे स्कूल वाले दोस्त मुझे facebook पर ही मिले थे । बस उन सब से बातें करके ज़िन्दगी गुज़र रही थी क्योंकि मेरे दोस्त नहीं थे तो वो facebook वाले दोस्त ही मेरे लिए सबकुछ थे अब और उनसे बाते करके मेरा दिल लग जाया करता था ।
पहले बहुत सारे लड़के लड़किया थी पर एक वक़्त ऐसा आया कि सिर्फ 3 लड़किया ही रह गई और बाते करते करते कुछ 2 साल और गुज़र गए ।
मेरी ज़िंदगी की गाड़ी भी पटरी पर आने लगी थी और मैंने अपनी खुद की एक electrical repair shop खोल ली थी और कुछ ही वक़्त में मैंने मोबाइल रिपेयर भी सीख ली थी और उसका काम करना भी शुरू कर दिया था और वो मेरी 3 दोस्त भी मेरे साथ थी ।
मुझे पता है कि ये facebook,whatsapp वाली दोस्ती कुछ नहीं होती लेकिन साहब मेरा और कोई दोस्त भी नहीं था और उन तीनों की बड़ी अहमियत थी मेरी ज़िंदगी में मेरी कुछ बातें पागलों वाली होती थी क्योंकि मेरी ज़िंदगी में शिक्षा की कमी थी । छोटी छोटी बातों का बतंगड़ बनाना बिन वजह उदास होना पागलो की तरह कुछ भी करना मेरी आदत थी ।
लेकिन मेरी गलती नहीं थी मेरे रब्ब ने मुझे बनाया ही ऐसा था लेकिन उन तीन लड़कियों में से एक ऐसी थी जिसके बारे में मैं जितना लिख जाऊ उतना कम है और मैं जितना भी लिखूं मेरा मतलब कुछ साबित करना नहीं है कुछ दिखाना नहीं है किसी को । बस मैं लिखता हूँ उसे क्योंकि मुझ निकम्मे पर उसके बहुत सारे उपकार हैं ।
मेरी उम्र अब 22 हो चुकी थी लेकिन मेरा दिल और दिमाग अभी भी बच्चों वाला था। वेसे ही पागल जज़्बाती और बेअक्ल था मैं । उम्र तो बड़ी थी मेरी लेकिन मैं रब्ब से डरकर कहता हूँ कि मुझे उस लड़की ने बड़ा बनाया था मैंने ज़िन्दगी में जो भी सीखा जितना समझदार हुआ तो बस उसकी वजह से मुझे हर रोज़ वो कुछ न कुछ सिखाया करती थी सच्च कहूँ तो मैंने दूसरो की इज़्ज़त करना उससे सीखा । मेरे झूठे जज़्बातों ने मुझे एक शायर एक कवि एक लेखक तो बनाया था लेकिन अगर एक ईमानदार और एक समझदार की बात करूं तो हाँ ये सच्च है कि और लोगो ने भी मुझे सिखाया लेकिन मुझपर सबसे अधिक प्रभाव उस लड़की का था ।
मैं एक दसवीं फेल नालायक था और वो पढ़ाई में अव्वल थी उसकी तारीफें मैं सुनता रहता था उसकी तस्वीरे अखबारों में छपती रहती थी वो मेरी दोस्त कैसे थी मुझे नहीं पता था मैं तो उसकी दोस्ती के लायक भी न था । लेकिन जो भी होता है ऊपर वाले कि मर्ज़ी से होता है शायद उसे भेजा ही था मुझे आगे बढ़ाने के लिए । वो समझती रही मैं समझता रहा । वो सिखाती रही मैं सीखता रहा । और एक दिन ऐसा भी आया कि उसके साथ बैठने का मौका मिला और जब मैं पहली बार उससे स्कूल के बाद रूबरू हुआ तो मुझे ये सारे एहसास हुए की मैं बदल गया मैं ज़िन्दगी में आगे बढ़ा । झूठे ख्वाबो से निकलकर अगर आगे बढ़ा था तो वजह सिर्फ वो ही थी।
कुछ 2018 जनवरी में मैं एक office में गया जहाँ मुझे एक कंपनी के द्वारा पार्ट टाइम जॉब मिलने वाली थी सब कुछ हो चुका था मेरा interview और मेरी knowlage से वो लोग प्रभावित थे बस कुछ documents देने थे जब सब पूरा हो गया तो आखिर में उन्होंने मेरी qualification पूछी तो मेरी सिर शर्म से झुक गया और जब मैंने बहुत हिम्मत करके बताया कि मैं दसवी फेल हूँ तो वो सब मुझपर हँसे, और सिर्फ मैं ही जानता हूँ कि मेरे आँसू मैंने कैसे छुपा रखे थे ।
सच्च बताऊ तो मैं मरने वाला था उस दिन लेकिन बस मुझे ख्याल मेरी माँ का आ गया और मैंने हमेशा उस लड़की से ये ही सुना और सीखा था कि कभी हारना नहीं है ना ही वो कभी हार मानती थी और मुझे पता है कि वो कभी हार नहीं सकती ।
मेरे मन मे एक सोच आयी कि क्यों न मैं दोबारा पढ़ाई करूं मैं भी मेहनत करूंगा लेकिन मैं तब 23 साल का हो चुका था और मुझे कुछ नही पता था कि कैसे क्या और कब होगा लेकिन वो ही थी जिसने मेरी हिम्मत बढ़ाई थी मुझे सोच विचार करने में 4 महीने लगे बहुत सारी परेशानियां आयी लेकिन मेरी माँ के आशीर्वाद से और उस लड़की के साथ से मई के महीने में मेरी admisson पंजाब स्कूल ओपन बोर्ड में हो गयी ।
काम की वजह से मैं सारा दिन व्यस्थ रहता था और रात को थोड़ी बहुत पढ़ाई किया करता था वो भी हर रोज़ मेरा उत्साह बढ़ाती थी । लेकिन मेरे काम की वजह से मैं इतना वक़्त नही दे पाया ।
थोड़ा थोड़ा पढ़ते कुछ 5 महीने गुज़र चुके थे अब दिसंबर का महीना आ गया था । मुझे अब टेंशन होने लगी थी और मैं ज्यादा से ज्यादा पढ़ने लगा था ज्यादा से ज्यादा वक्त मैं दे रहा था और दे रहा हूँ ।
आज 10 जनवरी 2019 का दिन है और फरवरी के आखिर में मेरी परीक्षा शुरू है । मैंने सब पढ़ रखा है लेकिन मुझे नहीं पता मुझे क्या याद है और क्या नहीं । अब मैं दुकान नहीं जाता बहुत कम जाता हूँ । काम कम करने के कारण पिता जी और मुझमें तनाव बढ़ने लगा है । शायद उन्हें मेरी स्तिथी का अंदाज़ा नहीं है लेकिन इसमें उनकी कोई गलती नहीं है । शायद मेरी किस्मत ही ऐसी है ।
वेसे तो मैं हारा हुआ इंसान था लेकिन इस बार मुझमें बात कुछ अलग है मुझमें एक होंसला है और अटूट विश्वास है ऊपर वाले पर क्योंकि उसने उस दोस्त को भेजा मेरी मदद के लिए मुझे समझाने के लिए और फिर उसने मुझे ये रास्ता भी तो दिखाया ये मेरी मर्ज़ी नहीं थी मेरी admission होना सब उसकी मर्ज़ी थी और उसने अगर रास्ता दिखाया तो मंज़िल भी ज़रूर बनाई होगी और मुझे पता है
"वो मुझे हारने नहीं देगा"
हर बार मैं हारा ज़िन्दगी से तक़दीर से लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है । लड़ाई मेरी और मेरी तक़दीर की नहीं है बल्कि मेरी तकदीर और अल्लाह की है।
लड़ाई अब छिड़ चुकी है मेरी तकदीर और रब के बीच बस देखना ये है कि जीत किसकी होगी ।
क्योंकि अब ये परीक्षा मेरे लिए सफलता की चाबी के समान है और मैं कौन होता हूँ कि कहूँ की मैं मेहनत करूँगा और जीत जाऊंगा । मैं तो बस उसके हाथ की कठपुतली हूँ और मुझे पता है कि वो मुझे हारने नहीं देगा ।
आज जो भी हो रहा है उसकी मरज़ी से मेरी माँ के आशीर्वाद से और उस लड़की की मेहनत की वजह से है जो उसने मुझपर की ।
मुझे नहीं पता कि दोस्त क्या होता है और न ही मै कोई बुद्धिमान हूँ बस मुझे ये पता है कि अगर दोस्त लफ्ज का कोई मतलब होता है तो वो लड़की ही है जिसने निस्वार्थ मेरे लिए इतना कुछ किया और उसे देखकर मैंने भी आज तक जो भी किसी के साथ किया निस्वार्थ किया और करता ही रहूँगा ।
मैं करन गुम्बर उर्फ राहिब (नर्क की आग से एक लेखक) 10 जनवरी 2019 को 2:13 मिनट पर खुदा की मौजूदगी में क्योंकि वो हर जगह मौजूद है, मेरे रब्ब की मर्ज़ी के साथ मेरी माँ के आशीर्वाद के साथ और मेरी दोस्त की दी हुई तालीम और शिक्षा के साथ अपनी फूटी हुई तकदीर से ऐलान के जंग करता हूँ । भगवान मेरा मार्ग दर्शक है और मुझे चलाने वाला है सफलता के रास्ते पर , किसी में दम है ? आओ रोक कर दिखाओ मुझे ।
बात 2010 की है जब मैं दसवी कक्षा में पढ़ता था । मैं पढ़ाई में ठीक ठाक था सभी विषयों में मैं अच्छा था लेकिन एक विषय ऐसा था जो मेरे लिए नामुनकिन था उस वक़्त वो था maths, 2009 तक हमारे पंजाब बोर्ड में जो भी छात्र या छात्रा एक विषय में फेल भी हो जाए तो उसे pass ही माना जाता था । आह मेरी किस्मत जब 2010 में मैं दसवी कक्षा में हुआ तो उस rule को बदल दिया गया और अब pass होने के लिए maths में पास होना जरूरी था । ये खबर मेरी ज़िंदगी की सबसे बुरी खबर थी सच कहूं तो मैं टूट गया था ये सुनकर । और मुझे पता चल चुका था कि अब मैं किसी भी हाल में परीक्षा में पास नहीं हो सकता । क्योंकि मुझे पिछली कक्षाओं का math ही नहीं आता था तो मैं कैसे करता, उस वक़्त मेरे लिए पास होना नामुनकिन हो गया । साहब मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं कुछ ना समझ पाया । अब मुझे पता था कि मैं फेल हो चुका हूं । पिता जी द्वारा कहा गया कि फेल होने से अच्छा है तूँ परीक्षा में बैठ ही मत लेकिन मुझे ऐसा करना गवारा नहीं था मैंने सीने पर पत्थर रख कर अपनी परीक्षा दी और नतीजा आने से पहले मुझे नतीजा पता था । हाँ हाँ मैं फेल हो चुका था ।
अब जब मेरा स्कूल छूट ही चुका था तो मैं क्या करता मेरे पिता जी ने मेरे सामने हाथ का काम सीखने का प्रस्ताव रखा और मेरे पास कुछ और करने का न तो चारा था और ना ही मनाही करने की कोई वजह । परीक्षा के नतीजे अब आ चुके थे और मैं math को छोड़कर सभी विषयों में pass था ।
एक 14 साल का बच्चा अब एक electrician के पास काम सीखने के लिए जाया करता था । मेरे पिता जी सारा दिन काम पर व्यस्थ रहते थे इसलिए उन्हें मेरी पढ़ाई के बारे में कुछ नहीं पता था और इसमें उनकी कोई गलती ना थी । और वो समझते थे कि मैं खुद नहीं पढ़ता था लेकिन सच्चाई ये थी कि मुझे maths समझ नहीं आता था शायद इसमें भी मेरी कोई गलती ना थी । ऐसे ख्याल फेल होने के बाद मुझे सुबह शाम खाते रहते थे मैं सुबह 9 बजे अपने अंकल की बिजली की दुकान पर जाया करता था और वो मुझे काम करना सिखाया करते थे । और रात को 9 बजे तक मैं उनके साथ ही रहता था मुझे नहीं समझ आ रहा था कि क्या हो रहा है मेरे साथ लेकिन बस अब ये ही आखिरी रास्ता था और मुझे आज भी याद है मैं कितनी बुरी तरह से थक जाता था 12 घंटे काम करके सारा दिन मुझे मेरी माँ की याद आती थी आखिर एक 14 साल का बच्चा होता ही क्या है ।
ज़िन्दगी गुज़रती रही मेरे सभी दोस्त पढ़ते रहे । मैंने अपने होंठों को सिल लिया दिल पर पत्थर रख कर बस ज़िन्दगी को खीचता रहा मैं अकेला था और मेरा कोई दोस्त नहीं था । बस मैं अकेला रहता था किसी से कुछ बात नहीं करता था । बस रात को घर जाता था खाना खाता था और सोने चला जाता था । आप लोगो में से कई मुझसे सवाल करते हैं कि मैं ऐसा इतना senty क्यों हूँ बस यही वजह है कि 14 साल की उम्र में ही मैं बड़ा हो गया था मेरा बचपन मुझे नहीं पता खो गया था या मेरे हालातों ने मेरे बचपन को रोंद दिया था मैं तब से ही ज्यादा सोचता था डिप्रेशन उदासी जैसी चीज़े मेरे लिए आम बात थी ।
आगे बढ़ते बढ़ते अब 5 साल गुजर चुके थे facebook का ज़माना था तो कुछ मेरे स्कूल वाले दोस्त मुझे facebook पर ही मिले थे । बस उन सब से बातें करके ज़िन्दगी गुज़र रही थी क्योंकि मेरे दोस्त नहीं थे तो वो facebook वाले दोस्त ही मेरे लिए सबकुछ थे अब और उनसे बाते करके मेरा दिल लग जाया करता था ।
पहले बहुत सारे लड़के लड़किया थी पर एक वक़्त ऐसा आया कि सिर्फ 3 लड़किया ही रह गई और बाते करते करते कुछ 2 साल और गुज़र गए ।
मेरी ज़िंदगी की गाड़ी भी पटरी पर आने लगी थी और मैंने अपनी खुद की एक electrical repair shop खोल ली थी और कुछ ही वक़्त में मैंने मोबाइल रिपेयर भी सीख ली थी और उसका काम करना भी शुरू कर दिया था और वो मेरी 3 दोस्त भी मेरे साथ थी ।
मुझे पता है कि ये facebook,whatsapp वाली दोस्ती कुछ नहीं होती लेकिन साहब मेरा और कोई दोस्त भी नहीं था और उन तीनों की बड़ी अहमियत थी मेरी ज़िंदगी में मेरी कुछ बातें पागलों वाली होती थी क्योंकि मेरी ज़िंदगी में शिक्षा की कमी थी । छोटी छोटी बातों का बतंगड़ बनाना बिन वजह उदास होना पागलो की तरह कुछ भी करना मेरी आदत थी ।
लेकिन मेरी गलती नहीं थी मेरे रब्ब ने मुझे बनाया ही ऐसा था लेकिन उन तीन लड़कियों में से एक ऐसी थी जिसके बारे में मैं जितना लिख जाऊ उतना कम है और मैं जितना भी लिखूं मेरा मतलब कुछ साबित करना नहीं है कुछ दिखाना नहीं है किसी को । बस मैं लिखता हूँ उसे क्योंकि मुझ निकम्मे पर उसके बहुत सारे उपकार हैं ।
मेरी उम्र अब 22 हो चुकी थी लेकिन मेरा दिल और दिमाग अभी भी बच्चों वाला था। वेसे ही पागल जज़्बाती और बेअक्ल था मैं । उम्र तो बड़ी थी मेरी लेकिन मैं रब्ब से डरकर कहता हूँ कि मुझे उस लड़की ने बड़ा बनाया था मैंने ज़िन्दगी में जो भी सीखा जितना समझदार हुआ तो बस उसकी वजह से मुझे हर रोज़ वो कुछ न कुछ सिखाया करती थी सच्च कहूँ तो मैंने दूसरो की इज़्ज़त करना उससे सीखा । मेरे झूठे जज़्बातों ने मुझे एक शायर एक कवि एक लेखक तो बनाया था लेकिन अगर एक ईमानदार और एक समझदार की बात करूं तो हाँ ये सच्च है कि और लोगो ने भी मुझे सिखाया लेकिन मुझपर सबसे अधिक प्रभाव उस लड़की का था ।
मैं एक दसवीं फेल नालायक था और वो पढ़ाई में अव्वल थी उसकी तारीफें मैं सुनता रहता था उसकी तस्वीरे अखबारों में छपती रहती थी वो मेरी दोस्त कैसे थी मुझे नहीं पता था मैं तो उसकी दोस्ती के लायक भी न था । लेकिन जो भी होता है ऊपर वाले कि मर्ज़ी से होता है शायद उसे भेजा ही था मुझे आगे बढ़ाने के लिए । वो समझती रही मैं समझता रहा । वो सिखाती रही मैं सीखता रहा । और एक दिन ऐसा भी आया कि उसके साथ बैठने का मौका मिला और जब मैं पहली बार उससे स्कूल के बाद रूबरू हुआ तो मुझे ये सारे एहसास हुए की मैं बदल गया मैं ज़िन्दगी में आगे बढ़ा । झूठे ख्वाबो से निकलकर अगर आगे बढ़ा था तो वजह सिर्फ वो ही थी।
कुछ 2018 जनवरी में मैं एक office में गया जहाँ मुझे एक कंपनी के द्वारा पार्ट टाइम जॉब मिलने वाली थी सब कुछ हो चुका था मेरा interview और मेरी knowlage से वो लोग प्रभावित थे बस कुछ documents देने थे जब सब पूरा हो गया तो आखिर में उन्होंने मेरी qualification पूछी तो मेरी सिर शर्म से झुक गया और जब मैंने बहुत हिम्मत करके बताया कि मैं दसवी फेल हूँ तो वो सब मुझपर हँसे, और सिर्फ मैं ही जानता हूँ कि मेरे आँसू मैंने कैसे छुपा रखे थे ।
सच्च बताऊ तो मैं मरने वाला था उस दिन लेकिन बस मुझे ख्याल मेरी माँ का आ गया और मैंने हमेशा उस लड़की से ये ही सुना और सीखा था कि कभी हारना नहीं है ना ही वो कभी हार मानती थी और मुझे पता है कि वो कभी हार नहीं सकती ।
मेरे मन मे एक सोच आयी कि क्यों न मैं दोबारा पढ़ाई करूं मैं भी मेहनत करूंगा लेकिन मैं तब 23 साल का हो चुका था और मुझे कुछ नही पता था कि कैसे क्या और कब होगा लेकिन वो ही थी जिसने मेरी हिम्मत बढ़ाई थी मुझे सोच विचार करने में 4 महीने लगे बहुत सारी परेशानियां आयी लेकिन मेरी माँ के आशीर्वाद से और उस लड़की के साथ से मई के महीने में मेरी admisson पंजाब स्कूल ओपन बोर्ड में हो गयी ।
काम की वजह से मैं सारा दिन व्यस्थ रहता था और रात को थोड़ी बहुत पढ़ाई किया करता था वो भी हर रोज़ मेरा उत्साह बढ़ाती थी । लेकिन मेरे काम की वजह से मैं इतना वक़्त नही दे पाया ।
थोड़ा थोड़ा पढ़ते कुछ 5 महीने गुज़र चुके थे अब दिसंबर का महीना आ गया था । मुझे अब टेंशन होने लगी थी और मैं ज्यादा से ज्यादा पढ़ने लगा था ज्यादा से ज्यादा वक्त मैं दे रहा था और दे रहा हूँ ।
आज 10 जनवरी 2019 का दिन है और फरवरी के आखिर में मेरी परीक्षा शुरू है । मैंने सब पढ़ रखा है लेकिन मुझे नहीं पता मुझे क्या याद है और क्या नहीं । अब मैं दुकान नहीं जाता बहुत कम जाता हूँ । काम कम करने के कारण पिता जी और मुझमें तनाव बढ़ने लगा है । शायद उन्हें मेरी स्तिथी का अंदाज़ा नहीं है लेकिन इसमें उनकी कोई गलती नहीं है । शायद मेरी किस्मत ही ऐसी है ।
वेसे तो मैं हारा हुआ इंसान था लेकिन इस बार मुझमें बात कुछ अलग है मुझमें एक होंसला है और अटूट विश्वास है ऊपर वाले पर क्योंकि उसने उस दोस्त को भेजा मेरी मदद के लिए मुझे समझाने के लिए और फिर उसने मुझे ये रास्ता भी तो दिखाया ये मेरी मर्ज़ी नहीं थी मेरी admission होना सब उसकी मर्ज़ी थी और उसने अगर रास्ता दिखाया तो मंज़िल भी ज़रूर बनाई होगी और मुझे पता है
"वो मुझे हारने नहीं देगा"
हर बार मैं हारा ज़िन्दगी से तक़दीर से लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है । लड़ाई मेरी और मेरी तक़दीर की नहीं है बल्कि मेरी तकदीर और अल्लाह की है।
लड़ाई अब छिड़ चुकी है मेरी तकदीर और रब के बीच बस देखना ये है कि जीत किसकी होगी ।
क्योंकि अब ये परीक्षा मेरे लिए सफलता की चाबी के समान है और मैं कौन होता हूँ कि कहूँ की मैं मेहनत करूँगा और जीत जाऊंगा । मैं तो बस उसके हाथ की कठपुतली हूँ और मुझे पता है कि वो मुझे हारने नहीं देगा ।
आज जो भी हो रहा है उसकी मरज़ी से मेरी माँ के आशीर्वाद से और उस लड़की की मेहनत की वजह से है जो उसने मुझपर की ।
मुझे नहीं पता कि दोस्त क्या होता है और न ही मै कोई बुद्धिमान हूँ बस मुझे ये पता है कि अगर दोस्त लफ्ज का कोई मतलब होता है तो वो लड़की ही है जिसने निस्वार्थ मेरे लिए इतना कुछ किया और उसे देखकर मैंने भी आज तक जो भी किसी के साथ किया निस्वार्थ किया और करता ही रहूँगा ।
मैं करन गुम्बर उर्फ राहिब (नर्क की आग से एक लेखक) 10 जनवरी 2019 को 2:13 मिनट पर खुदा की मौजूदगी में क्योंकि वो हर जगह मौजूद है, मेरे रब्ब की मर्ज़ी के साथ मेरी माँ के आशीर्वाद के साथ और मेरी दोस्त की दी हुई तालीम और शिक्षा के साथ अपनी फूटी हुई तकदीर से ऐलान के जंग करता हूँ । भगवान मेरा मार्ग दर्शक है और मुझे चलाने वाला है सफलता के रास्ते पर , किसी में दम है ? आओ रोक कर दिखाओ मुझे ।
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